नाथपन्थ के सिद्धों का चरित्र आध्यात्मिक शुचिता एवं मानवीय संचेतना का पर्याय है। नाथपन्थ में प्रमुखतया नवनाथ एवं चौरासी सिद्धों की मान्यता एवं व्याप्ति है फिर भी इनके अतिरिक्त भी अनेक सिद्धों एवं योगियों का उल्लेख भी प्राप्त होता है। नाथ-परम्परा (नाथधारा) आज भी नैरन्तर्य पूर्ववत गतिमान है। प्रस्तुत प्रणीत ग्रन्थ में नवनाथों के जीवन चरित्र, उनके उपदेश, उनके ग्रन्थों और उनके प्रति लोकास्था का संक्षिप्त विवरण प्रकाशित करने का प्रयास किया गया है। ऐसी पन्थिक-प्रसिद्धि है कि सृष्टि के आरम्भ में नवनाथ हुए और इन्होंने ही नाथपन्थ का प्रवर्तन किया। नवनाथों की सूची के सन्दर्भ में नाथपन्थी विद्वानों के मत अलग-अलग हैं। अतएव संगामी सहमत हेतु प्रविद्वानों के वैचारिक-मतों पर दृष्टिपात करना अतीव आवश्यक है। योगिसंप्रदायविष्कृति (योगिसंप्रदायाविष्कृति, चन्द्रनाथ योगी, अहमदाबाद, 2019, पृ. 11-14) में नवनारायणों का नवनाथों के रूप में अवतरित होने की कथा का वर्णन किया गया है।
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